गरम जलेबी
पार्क में मैं छोटी-छोटी बच्चियों को खिला रही थी, उनकी उम्र 7 से 13 साल की थी।कुछ ने फ़्राक,कुछ ने मिनि स्कर्ट और एक-दो ने सलवार-कुर्ती पहन रखी थी।एक गोल घेरे में कुल 7 बच्चियां थीं। हम एक नाजुक-सा प्राईवेट खेल खेल रहे थे जिसमें हर बच्ची को एक-दूसरे को नंगी करना था और नंगी करने के बाद आपस में छेड़खानी करना।चूंकि सब बच्चियां अपने-आप नंगी नहीं हो पा रही थीं इसलिये कुछ बच्चियों को नंगी करने का बीड़ा मैंने उठाया।जब सब बच्चियां पूरी नंगी हो गयी तो मैं खुद भी नंगी हो गयीं।मैंने नंगी मस्ती के इस खेल के लिये इन बच्चियों के दो ग्रुप किये-- पहला 7 से 9 साल की उम्र का और दूसरा 10 से 13 साल। प्रीति 9 साल की, सुमी 8 साल, और मुनमुन 7 साल की थी।इन तीनों को पहले चारों टांगों पर घोड़ी बनने के लिये कहा।फिर प्रीति की चूतड़ पर सुमी, और उसकी चुतड़ पर मुनमुन को चढाया।दूसरे ग्रुप से कहा कि वह इन बच्चियों के नाजुक अंगों से छेड़खानी करे।प्राची 13 साल की थी,सल्लो12 साल,कुमकुम 11, और राधी 10 की।राधी ने मुनमुन की चूतड़ की दरार में हाथ डाल उसके गुप्तांग में अंगुली की, इसी तरह कुमकुम ने सुमी की और सल्लो ने प्रीति की चूतड़ को छेड़ा।बची प्राची तो उसकी चूतड़ और चूत में मैंने अंगुल मार दी।प्राची को जेसे एक करेंट लगा, वह उछली और उसने सल्लो की गांड में अंगुल दबा दी;सल्लो ने राधी की गांड और चूत में।खेल की दूसरी पारी में सब बच्चियां सामने से एक-दूसरे से सट गयीं , हर बच्ची की चूत एक-दूजे से भिड़ी हुई थी।मैंने भी अपनी चूत प्राची की चूत से रगड़ी।ये खेल भी था और सेक्स एजूकेशन भी।
हम ये खेल सम्पूर्ण एकांत मे कर रहे थे।मुझे बिलकुल नही पता था कि हमारे इस खेल को व्यायाम शिक्षक आनंद साहेब देख रहे होंगे। आनन्दकुमार 45 वर्ष के थे ।वे एक बार मुझे चोद भी चुके थे।वे जैसे ही हमारे सामने आये मैं सन्न रह गयी। उस समय हम आठों पूरी मादरजात नंगी थीं।वे मुस्कराकर बोले, '' चलो, मैं भी तुम्हारे खेल में इन बच्चियों की मदद कर देता हूं।'' मैं कांप गयी,सोचा कहीं ये इन सात बच्चियों को चोदेंगे तो नहीं।पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।उनके हाथ में गरमागरम जलेबियों का पूड़ा था।उन्होंने एक-एक बच्ची को अपनी गोद मे कस-सटा कर बैठाया, और एक-एक बच्ची के मुख में एक-एक गरम जलेबी डाल दी।बच्चियों ने चसकारा भरा क्योंकि उन्हें जलेबी खाने का मजा आ रहा थ।
हम ये खेल सम्पूर्ण एकांत मे कर रहे थे।मुझे बिलकुल नही पता था कि हमारे इस खेल को व्यायाम शिक्षक आनंद साहेब देख रहे होंगे। आनन्दकुमार 45 वर्ष के थे ।वे एक बार मुझे चोद भी चुके थे।वे जैसे ही हमारे सामने आये मैं सन्न रह गयी। उस समय हम आठों पूरी मादरजात नंगी थीं।वे मुस्कराकर बोले, '' चलो, मैं भी तुम्हारे खेल में इन बच्चियों की मदद कर देता हूं।'' मैं कांप गयी,सोचा कहीं ये इन सात बच्चियों को चोदेंगे तो नहीं।पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।उनके हाथ में गरमागरम जलेबियों का पूड़ा था।उन्होंने एक-एक बच्ची को अपनी गोद मे कस-सटा कर बैठाया, और एक-एक बच्ची के मुख में एक-एक गरम जलेबी डाल दी।बच्चियों ने चसकारा भरा क्योंकि उन्हें जलेबी खाने का मजा आ रहा थ।
9 years ago