घुसुड़-फुसुड़

वो मेरी सहेली है ना अंजू, उसके घर मैं अक्सर जाती-आती हूं। उसके पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं,जब भी जाती हूं कुछ-न-कुछ मिठाई जरूर वो मुझे खिलाते ही हैं।कभी-कभी मैं रात को भी उसके घर रुक जाती हूं ।एक रात जब तय प्रोग्राम के मुताबिक जब मैं उसके घर पहुंची तो अंजू मिली नहीं।उसके पापा बोले कि उसे अचानक नानी ने बुला लिया था, आज रात शायद वो ना आ पाये।मैं पशोपेश में पड़ गयी तो पापा ने ताड़ कर कहा-- ' घबराओ नहीं,ये भी तुमारा ही घर है।' अंजू के पापा को मैं भी पापा ही कहती थी।मैने कहा , '' पापा ,वो तो ठीक है पर आपके इतने बड़े घर में मुझे अकेले सोते डर लग रहा।'' पापा चहक कर बोले,अगर यही बात है तो तुम मेरे बिस्तर पर ही सो जाना, मतलब मेरे ही पास सो जाना !'' फिर उन्होंने मुझे अच्छा-अच्छा खाना खिलाया, और पिलाया भी।ठंड जबरदस्त थी और बरसात भी; शयद 10:15 बजे मुझे नींद आने लगी,तो मैं उनके ही बिस्तर पर लुढक गयी।10:30 पर पापा भी मेरे पास आ सो गयेऽब हम दोनों एक ही रजाई के तले सो रहे थे।मैं आधी नींद में तो आधी जग भी रही।मैं सोचने लगी, पापा कितने अच्छे हैं; कितना ख्याल रख रहे मेरा ! रात 12 बजे मुझे ऐसा लगा कि पापा ने अपनी एक टांग मेरी जांघ से भिड़ा दी हो जैसे।मैंने कोई हरकत नहीं की पर मुझे लगा जैसे पापा मेरा सुख लेना चाहते हैं तो मैंने भी अपनी दोनों जांघे उनके जिस्म से सटा दी।कुछ देर बाद मैंने ये भी मसूस किया जैसे कोई लिजलिजी चीज-- मांसल-- मेरी जांघों के त्रिकोण से सट रही।वो पापा का लंड था और वो मुझे अच्छा भी लग रहा था।मैं चुप रही,कोई हरकत या विरोध नहीं किया तो वे रात भर मेरे से सटे हुये मेरे माल का सुख लेते रहे।
सुबह मैं काफी देर तक नही जगी, कोई 8 बजे उठी, 10 बजे नाश्ता मिला, नाश्ते पर पापा काफी खुश नजर आ रहे थे।अंजू का फोने आ गया था कि वो 2-3 दिन नहीं आ सकेगी, मुझसे कहा कि मैं पापा का ध्यान रखूं।मैं तो वैसे भी पापा का ध्यान रख रही , और पापा मेरा।दिन में पापा ने मुझे बहुत अच्छी ड्रेसेज खरीदकर दिलवायी और कोस्मेटिक्स भी। इस लिये जब दूसरी रात पापा मेरे साथ हमबिस्तर हुये तो मैंने खुल कर सहयोग किया।मुझे ये भी पता चल गया कि पापा मेरी चूत बजायेंगे।इस रात मैंने पापा का नंगा लंड सहलाया।
अगले दिन पापा ने मुझे कुछ ज्वेलरी खरीद कर गिफ्ट में दी।रात को उन्होंने मुझे एक बहुत ही नंगी फिल्म दिखायी और कहा कि ऐसा तुम्हें भी ऐसा करना है।मैं कुछ नही बोली।
अगले दिन पापा ने कहा कि वो आज मेरे बैंक जा कुछ रुपय्ये मेरे खाते में डालेंगे, या तो आज या फिर कल,ऐसा वो बोले।पापा ने फुसफुसाते हुये कहा,''आज मेरे दो-तीन दोस्त आयेंगे,उनके सामने तुम्हें बिल्कुल बेहया की तरह पेश आना है, जवाब में मैंने भी एक भद्दा इशारा किया ताकि उनके सामने पापा की नाक न कटे। दिन के 2 बजे तीन आदमी आये, सब 45-55 साल के; 52 के तो ''पापा'' भी थे।मैं 18 बरस की छोकरी, स्कूल ड्रेस में।पापा हाफ पेंट में थे,उन्होंने कमर के ऊपर कुछ नही पहना था।मैं स्कर्ट मे।मैं बेहया की तरह चली उन तीनों मर्दों के सामने।पापा ने एक हाथ मेरी कमर में तो दुसरा मेरी गांड पर रख रखा था। हाफपेंट में से उनका लंड निकल कर मेरी गांड के दोनो गोलों पर टक्कर मार रहा था्। अचानक पापा ने मेरा स्कर्ट उपर को उठाया, भीतर चड्डी नहीं थी , तो पहले तो उन्होंने मेरी गांड में अंगुल की, फिर अचानक से अपना 8 इन्च का लंड मेरी नंगी गांड मे घुसा मेरी गांड मारने लगे,उन तीनों के सामने।
म्यूजिक बज रहा था :-- '' घुसड़-फुसड़ अरे घुसड़-फुसड़, रगड़-रगड़ मार रगड़-रगड़; छोरी धचकपचक छोरी लचकमचक ,लंड दे गांड में फकाफक-फकाफक ''।

Published by raanoo
9 years ago
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sashtavtar 9 years ago
chudwaa hi le tu ab!
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