निन्नी की घोड़ा -कुदाई

जो अंकल निन्नी को शारीरिक शिक्षा देते हैं वो उसके लिए बहुत मेहनत करते और निन्नी बिटिया से कराते हैं। निन्नी अब 10 वर्ष की हो गयी और उसे और तालीम की जरूरत है। डांस, एरोबीक्स, योगा, मुद्रा, जिम्नास्टिक्स याने दंड - पेल, ये तो सब चालू है। जब वो तरणताल में स्विमिंग सुइट या बिकीनी में जाती है तो बहुत प्यारी व सुंदर लगती है। तरणताल मे उसके उतर नहाने और तैराकी से पहले अंकल उसकी स्वीडिश मालिश करते हैं। उससे त्वचा का जर्रा-जर्रा खिल जाता है।

दंड-पेल बहुत जरूरी है, ऊठक-बैठक, दौड़ा-दौड़ी, अंग-अंग मोड़ा -मोड़ी ये नम्यता या flexibility के लिए जरूरी।
वो सब ठीक पर अंकल इस बार आए तो उन्होने निन्नी के लिए दो चीजों की ताकीद की। एक तो यह की निन्नी के लिए कुत्ता होना ही चाहिए, और दूसरा 'घोड़ा-कुदाई'। तो कुत्ता तो हमने रख लिया, जो निन्नी का खास ख्याल रखता है और निन्नी उसका। मगर घोड़ा-कुदाई रह गयी थी। अब अंकल ने ठान ही लिया की निन्नी की घोड़ा-कुदाई होगी।

वे उसे एक खास अस्तबल ले गए जहां कई नस्ल, कई रंग और कई उम्र के घोड़े थे। अरबी घोड़ा अच्छा माना जाता है। निन्नी को 13 अरबी घोड़े एकसाथ दिखाये। सूरज के सात घोड़े दिखाये जो सात रंग के थे। निन्नी ने लाल घोड़ा और काला घोड़ा पसंद किया। यह कि घोड़ा निन्नी को पहचान ले उसे निन्नी का अंग-अंग सुंघाया। घोड़ा समझदार बहुत होता है इसलिए प्यार में उसकी आँखों से आँसू भी निकल गए। तब निन्नी ने घोड़े के मुंह को स्नेह से चूमा । और घोड़े ने भी रेस्पोंस दिया क्योंकि उसने जीभ निकाली और निन्नी का एक गाल चूम लिया।
सबसे कठिन बात थी कि निन्नी को घोड़े पर बैठाया कैसे जाय । निन्नी का कद छोटा जो घोड़े की एक टांग से भी नीचा। तीन बार तो निन्नी घोड़े की टांगों के नीचे से गुजर गयी। इसलिए अंकल ने निन्नी को गोद लिया, निन्नी की मासूम छोटी-छोटी टांगें चौड़ी की और उसे पहले काले काले घोड़े पर चढ़ाया और खुद उसके पीछे चढ़ गए। अंकल ने निन्नी बिटिया को पेट और चेस्ट से थाम रखा ताकि घोड़ा हिले तो वो फिसले या गिरे नहीं। कोई दुर्घटना ना हो इसलिए अंकल निन्नी को आगे बैठा पीछे से उससे कस कर चिपक गए थे।

अंकल ने एड मारी तो घोड़ा पहले तो हिनहिनाया, फिर चला, फिर तेज हुआ -- फिर सुनसान जंगल आया, फिर कुछ पहाड़ियाँ; घोड़ा पहाड़ी पर भी सरपट चढ़ जाता है। घोड़ा तेज गति से दौड़ने के कारण निन्नी को हिचकोले लग रहे थे। हर हिचकोले पर अंकल निन्नी का पेट, चेस्ट, और कमर, याने नाभि का अग्र भाग कस के दबाते। निन्नी को घोड़े की सवारी सीखनी थी तो 23 किलोमीटर दूर घोड़ा आ पहुंचा। वहीं एक सरोवर था जहां घोड़ा पानी पीने लगा। अंकल ने निन्नी को बांह जकड़ और नितंब पकड़ घोड़े के नीचे उतारा। गलत बात ये हुई कि सबको पेशाब लग गया था--- घोड़े को, अंकल को, और निन्नी को। जब घोड़े ने पेशाब किया तब निन्नी ने उसका लिंग-अंग देखा, वो हैरान हो गई कि इतना मोटा। फिर अंकल और निन्नी ने भी एक-दूसरे के सामने पिशाब किया। निन्नी को शर्म आ रही थी जिसे अंकल ने दूर किया ।
इस बार अंकल ने घोड़े पर सिर्फ निन्नी को चढ़ाया।चढ़ने से पहले निन्नी ने घोड़े की टांगें व पीठ सहलायी। वह स्पर्श बहुत्त मुलायम था। इस से घोड़ा भड़का नहीं, स्थिर रहा। निन्नी ने अपनी टांगें चौड़ी की , वो उछली, और ऊंची हो -हो कूदी --- गिरे नहीं इसलिए अंकल ने दुबारा से उसको नितंब पकड़ सहारा दिया। निन्नी की पीठ थपथपाई। कैसे भी हो निन्नी घोड़े पर तो चढ़ गई। परंतु अभी उसकी कुदाई नहीं हुई थी। घोड़ा-कुदाई एकदम आसान नही है। अंकल ने निन्नी से कहा ---- ' निन्नी बेटा, तू डटी रहना, अभी तेरी घोड़ा-कुदाई होगी।' अंकल के इशारे पर घोड़े ने आगे के दोनों पैर ऊंचे किए और निन्नी को झटका लगा। फिर घोड़ा ठीक से चारों टांग खड़ा हो गया। फिर दोबारा दो टांग उठाई और निन्नी को फिर झटका लगा; झटके पे झटका पर निन्नी का पाँव घोड़े में अटका। जैसे -जैसे घोड़ा झटका मारता निन्नी उसके काले-काले बदन पर फिसल रही थी, सिर्फ अंकल ही उसे नितंबों का सहारा दे गिरने से बचा रहे थे।इस बार घोड़ा काफी देर तक दो टांगों पर खड़ा रहा। उसने फिर पेशाब किया, और काफी देर दो टांगों पर रहा। फिर चारों टांग नाचने -उछलने लगा। जैसे ही घोड़ा नीचे से उछलता निन्नी ऊपर उछलती। घोड़े ने इतनी कुदाई की कि निन्नी की जांघों मे दर्द होने लगा।
निन्नी ने काले घोड़े के बदन से उतरने के बाद अंकल से कहा उसे लाल-लाल घोड़ा-कुदाई चाहिए। शायद वो उसे इतना कष्ट न दे।
Published by garamaagaram
5 years ago
Comments
2
Please or to post comments
mithl
mithl 5 years ago
निन्नी की चूत खिल गई होगी !
Reply
Giorgio_Camomilla
Giorgio_Camomilla 5 years ago
कुछ समझ नहीं आया
Reply